रांची। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पीआईबी और आरओबी रांची के संयुक्त तत्वावधान में राजभाषा के रूप में हिन्दी की स्थिति और प्रसार के उपाय पर हिन्दी संगोष्ठी एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया।
ऑनलाइन कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए पीआईबी-आरओबी रांची के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने कहा कि राजभाषा हिंदी का उत्तरोत्तर प्रयोग और विकास सुनिश्चित करने के लिए भारत को 3 भाषा क्षेत्रों ‘क’ ‘ख’ एवं ‘ग’ के अंतर्गत रखा गया है। झारखंड क क्षेत्र में आता है, इस क्षेत्र में कार्यालय के प्रयोग में लाई जाने वाली भाषा हिन्दी है। अत: हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कार्यालय प्रयोग में हिन्दी का प्रयोग अधिकाधिक हो।
उन्होंने कहा कि हमें संकल्प लेना होगा कि कार्यालय में हम हर हाल में राजभाषा नियम का पालन करेंगे। तकनीक ने हिन्दी में काम काफी सरल बना दिया है। हमें सकारात्मक सोच से हिन्दी को उपयोग करने में जो बाधाएं आ रही हैं, उन्हें दूर करने का सामूहिक प्रयास करना है।
इससे पहले कार्याशाला के आरंभ में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गौरव पुष्कर ने पॉवर प्वाईंट प्रेजेंटशन के माध्यम से राजभाषा के रूप में हिन्दी का विकास और यथास्थिति को समझाया। कार्यशाला में अपने विचार रखते हुए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के उप निदेशक धीरज शर्मा ने कहा कि एक भाषा दूसरी भाषा से श्रेष्ठ नहीं हो सकती।
आज की मानसिकता है कि अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को ज्यादा पढ़ा-लिखा समझा जाता है, पर ऐसा नहीं है। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। हिन्दी भाषा भी काफी समृद्ध है और शुद्ध हिन्दी लिखना-बोलना काफी मुश्किल होता है। अंग्रेजी में लिखे गए वाक्यों के दो-दो अर्थ भी निकाले जा सकते हैं, पर हिन्दी के वाक्यों में ऐसा मुश्किल से होता है।
हिन्दी सामान्यतया काफी सरल और सुबोध है, राजकीय प्रयोजनों में हिन्दी का लगातार प्रयोग बढ़ाया जाना चाहिए। श्री शर्मा ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से कंप्यूटर में आसानी से हिन्दी लिखने के तरीकों पर भी चर्चा की।
कार्यशाला में प्रधान महालेखाकार कार्यालय, रांची के वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी विकास चंद्र आजाद ने भी अपने विचार रखे।