रांची। झारखंड में पंचायती राज विभाग में हुए बेहतर कार्यों का अनुभव असम ने जाना। इसे लेकर 15 जून को एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें असम सरकार के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक पबित्रा कलिता, संयुक्त निदेशक, असम के जिला के डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजर एवं ADPM सहित अन्य officials उपस्थित थे। वेबिनार में झारखंड के पंचायती राज विभाग की स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर श्रीमती मिनी रानी ने व्याख्यान दिया। इसके बाद सभी DPMs एवं ADPMs ने अपने प्रश्न एवं doubts रखे। इसका जवाब श्रीमती शर्मा ने दिया।
झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग के सचिव राहुल शर्मा, पंचायती राज निदेशक आदित्य रंजन के नेतृत्व में विभाग लगातार नई सफलता हासिल कर रहा है। असम के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग ने झारखंड पंचायती राज द्वारा किये गये कार्यो की सराहना की। झारखंड के पंचायती राज निदेशक आदित्य रंजन से 15वीं वित्त आयोग अनुदान के अपने अनुभवों को साझा का आग्रह किया। उनके आग्रह पर इस वेबिनर का आयोजन किया गया।
पंचायतों की भूमिका कोरोनो काल में काफी प्रभावशाली रही है। जब अन्य लोग अपने घरों पर लॉकडाउन का पालन कर रहे, तब पंचायती राज विभाग के लोग अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स की ही भांति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे। पूरी प्रक्रिया में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का भरपूर प्रयोग करते हुए किसी भी सेवा को बाधित नहीं होने दिया गया। ऑनलाइन फील्ड वेरीफिकेशन के माध्यम से किसी भी तरह के खानापूर्ति पर नकेल कसी गई। ऑनलाइन डिजिटल ट्रांजेक्शन के माध्यम से सीधा सभी पंचायतों तक राशि पहुंचाई गई। झारखंड के पंचायती राज सचिव राहुल शर्मा द्वारा 15वीं वित्त आयोग अनुदान की विस्तृत गाइडलाइंस सभी पंचायतों को दी जा चुकी है। गाइडलाइंस का अनुपालन हो, इसके लिए निरंतर सभी योजनाओं की ऑनलाइन वेरीफिकेशन भी रेंडमली की जाती है।
गाइडलाइंस के अनुसार सभी योजनाय 11वी शिड्यूल में अंकित 29 विषय पर आधारित एवं सम्मिलित होनी चाहिए। लाइन डिपार्टमेंट की भागीदारिता भी सुनिश्चित की गई है। ओएसआर, सीएफसी, इंस्टिट्यूशनल क्रेडिट (बैंक/को-ऑपरेटिव, लाइन डिपार्टमेंट फंड, सीएसआर फंड आदि के समेकित उपयोग के लिए अधिकतम प्रयास भी की जानी है। स्थानिक योजना की रीढ़ के रूप में जीआईएस सहित विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है।