किसानों को तरबूज की मिल सकेगी उचित कीमत, कृषि मंत्री के निर्देश पर विभाग बना रहा रणनीति

कृषि झारखंड
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  • फसल बर्बाद होने की मिल रही थी शिकायत

रांची। झारखंड के कई जिलों से शिकायतें लगातार आ रही थी कि किसानों के खेत में तरबूज बर्बाद हो रहे हैं। इसे लेकर कृषि मंत्री बादल ने विभागीय सचिव अबु बकर सिद्दीख पी को संबंधित डीएचओ और बाजार समिति के सचिव के साथ समन्वय स्थापित कर किसानों को राहत देने के लिए कहा। सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार और उद्यान विभाग के निदेशक, वेजफेड के एमडी सहित सम्बंधित डीएचओ एवं बाजार समिति के सचिव के साथ 22 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की।

सचिव ने सभी को निर्देश दिया है कि वे अभिलंब किसानों के खेतों में पड़े तरबूज की खपत कैसे की जाए, उसे लेकर जिला स्तर पर समन्वय स्थापित करें। उन्होंने कहा कि राज्य के जिन जिलों में तरबूज की खेती नहीं हो रही है, ज्‍यादा खेती होने वाले जिलों से तरबूज वहां भेजे जाए। कोलकाता, उड़ीसा, बिहार एवं दिल्ली से भी समन्वय स्थापित किए जाएं। बाजार समिति के सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने जिले में किसानों द्वारा तरबूज की पैदावार और खपत की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें। तुरंत में वहां के खरीददारों के साथ बैठक कर किसानों के तरबूज उचित कीमतों पर कैसे लिया जाए, इसे देखें।

जिला उद्यान पदाधिकारी एवं बाजार समिति के सचिव ने विभागीय सचिव को जानकारी दी कि लॉकडाउन की वजह से खरीददार किसानों को उचित कीमत देने के लिए तैयार नहीं है। सचिव ने अधिकारियों से कहा है कि किसान को उनना मेहनताना मिल सके, उन्हें नुकसान नहीं हो, यह सुनिश्चित करने का काम करें। उनकी इसी कार्य कुशलता के आधार पर आने वाले समय में राज्य सरकार उन्हें सम्मानित करने का भी काम करेगी।

कृषि सचिव ने वेजफेड के एमडी को कहा कि इस कोरोना महामारी में वेजफेड को ज्यादा काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने  निर्देश दिया है कि राज्य के सभी जिलों में जिला स्तर पर तरबूज की खरीददारी कर घरों तक पहुंचाने का भी काम करें। इससे किसानों को राहत दिया जा सके। वेजफेड को विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए गए। बाजार समिति की सचिव को प्रत्येक दिन रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। कृषि विभाग के विशेष सचिव प्रदीप हजारे को न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने को लेकर जल्द बैठक कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।

सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार मृत्युंजय वर्णवाल ने कहा कि वर्तमान में मौजूद कोल्ड स्टोरेज को और मजबूत करने की आवश्यकता है। विभिन्न राज्यों से समन्वय स्थापित करने की भी बातें उन्होंने कही।

उद्यान विभाग के निदेशक वरुण रंजन ने कहा कि‍ जूस बनाने वाली कंपनी से बात की जा रही है, जो खूंटी के किसानों के तरबूज को लेगी। बिहार, बंगाल और उड़ीसा से समन्वय स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने कृषि सचिव से आग्रह किया कि‍ विभिन्न जगहों पर किसानों के तरबूज के पैदावार होते हैं। खरीददार को किसी एक प्‍वाइंट को बनाकर वहां से तरबूज दिए जाए, ताकि राज्य के बाहर आसानी से तरबूज भेजे जा सके। विभागीय सचिव ने इसे भी सुनिश्चित करने के निर्देश दे दिए हैं।