रांची। झारखंड स्थित कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) सस्टेनेबल माइनिंग के माध्यम से सभी स्टेकहोल्डर्स के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में वेस्ट बोकारो कोलफील्डस के उत्तरी छोर पर एमडीओ माध्यम से शुरू की जाने वाली प्रथम ग्रीनफील्ड परियोजना- कोतरे बसंतपुर पचमो है। इसे शीघ्र मूर्त रूप दिया जायेगा। यह एमडीओ मॉडल पर संचालित होने वाली सीसीएल के साथ-साथ कोल इंडिया की पहली ग्रीनफील्ड परियोजना होगी। पूर्णत: विकसित होने पर परियोजना की वार्षिक उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 5 मिलियन टन (एमटी) होगी।
ज्ञात हो कि कोतरे बसंतपुर परियोजना कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 के अंतर्गत सीसीएल को आवंटित की जाने वाली पहली परियोजना थी। इसे 19अप्रैल, 2018 को जारी किए गए आवंटन आदेश की तिथि से एक निश्चित समय के अंदर प्रारंभ करना था। यह परियोजना से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में कोयला आयात को शुन्य करने एवं‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही इससे कोयला खनन में निजी क्षेत्र की कंपननियों को अवसर मिलेगा।
सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने बताया कि एमडीओ माध्यम से प्रारंभ और संचालित की जाने वाली कोल इंडिया की पहली ग्रीनफील्ड परियोजना कोतरे बसंतपुर का कार्य आवंटित किया जा चुका है। उन्होंने झारखंड सरकार के निरंतर सहयोग एवं कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी, सचिव (कोयला) अनिल कुमार जैन, कोल इंडिया अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल के नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया।
एमडीओ मोड सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी की अवधारणा को दर्शाता है। एमडीओ मोड में ठेकेदार/निजी कंपनी भूमि के भौतिक कब्जे, आरएंडआर, खदान के विकास और संचालन सहित कोयले का प्रेषण सहित अन्य संबंधित गतिविधियों खदान के लिज होल्डर के लिए क्रियान्यवित करता है। इसके एवज में खदान का लिज होल्डर एक अनुबंधित खनन शुल्क का भुगतान ठीकेदार/निजी कंपनी को करता है। एमडीओ को दोनों प्रतिभागियों के लिए आर्थिक रूप से व्यावाहारिक माना जाता है।
कोतरे बसंतपुर पंचम परियोजना में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित करते हुये खनन गतिविधि से पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाने का प्रावधान है। इस परियोजना के अंतर्गत केदला वाशरी से दनिया रेलवे स्टेशन तक 15 किमी का रेलवे ट्रैक विकसित किया जाएगा। खनन किए गए कोयले को क्रस (Crush) कर कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से वाशरी को आपूर्ति की जाएगी। कोयला धुलाई के बाद विभिन्न उपभोक्ताओं के गंतव्यों तक रेल से भेजा जायेगा।
इस परियोजना में लगभग 2000 करोड़ रुपये का पूंजीगत परिव्यय किया गया है। परियोजना के प्रारंभ होने से आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिलेगा। साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास औरविभिन्न कल्याणकारी एवं सीएसआर योजनाओं से उनके जीवन स्तर में और सुधार होगा।