- लोगों के बीच कोरोना को लेकर फैल रहे भ्रम को दूर करने की दिशा में अस्पतालों की अहम भूमिका
- कोरोना में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का स्टॉक वेरिफिकेशन भी हर सप्ताह किये जाने का निर्देश
- मुख्यमंत्री ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विचार-विमर्श किया
रांची। कोरोना की दूसरी लहर का झारखंड में भी व्यापक असर देखने को मिल रहा है। हर दिन रिकॉर्ड संख्या में संक्रमित मिल रहे हैं। कोविड-19 मरीजों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी से राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों के सामने कई चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं। मरीजों की संख्या के हिसाब से ऑक्सीजन युक्त बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की संख्या कम पड़ रही है। ऐसे में सीमित संसाधनों के साथ मरीजों को बेहतर से बेहतर चिकित्सीय सुविधा कैसे उपलब्ध कराई जाए, इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 22 अप्रैल को राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के निदेशक, सुपरिटेंडेंट और निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विचार-विमर्श किया। उन्होंने इन अस्पतालों से उनके यहां मरीजों के इलाज की वर्तमान व्यवस्था और जरूरतों की जानकारी के साथ सुझाव भी लिए। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में बेहतर प्रबंधन के जरिए संक्रमितों को अच्छी चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में पहल करें।
कोरोना से जुड़ी सामान्य दवाएं बाजार में सुलभ हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, वैसे में इससे जुड़ी आवश्यक दवाओं के साथ सामान्य दवाओं की भी बाजार में किल्लत होने और कालाबाजारी किए जाने की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। उन्होंने ड्रग्स निदेशक को कहा कि से कोरोना में इस्तेमाल की जा रही दवाओं की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि इन दवाओं का स्टॉक वेरिफिकेशन भी हर सप्ताह किया जाए, ताकि पूरी वस्तुस्थिति की जानकारी मिल सके। उन्होंने अस्पतालों के प्रतिनिधियों से कहा कि दवाओं को लेकर अफरा-तफरी का माहौल नहीं बने, इसे लेकर लोगों को जागरूक करने में सहयोग करें।
दवाओं के इस्तेमाल को लेकर दें जानकारी
मुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेजों और निजी अस्पतालों से कहा कि वे कोरोना मरीजों को यह बताएं कि सभी दवाएं सभी के लिए जरूरी नहीं है। संक्रमण के हिसाब से कौन सी दवाएं बेहतर हैं, जिनका इस्तेमाल वे कर सकते हैं, इसकी जानकारी उन्हें दें। इसके अलावा उन्हें यह भी बताएं कि सामान्य रूप से संक्रमित अपने घर में ही आइसोलेशन में रहकर कैसे स्वस्थ हो सकते हैं। कोरोना को लेकर लोगों के बीच भ्रम को दूर करने की आज जरूरत है। इसमें आपकी अहम भूमिका है।
स्थानीय स्तर पर बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने की पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर लोगों को कैसे बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं मिले, इसके लिए सरकार के द्वारा चिकित्सीय संसाधनों का विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रांची में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं तो दूसरी तरफ दूसरे जिलों से भी बेहतर इलाज के लिए मरीज रांची आ रहे हैं। ऐसे में यहां के सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों का दबाव काफी बढ़ गया है। इस वजह से जिलों का सर्किट बनाकर वहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
रिफिलिंग और सिलेंडर की बढ़ाई जा रही संख्या
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मेडिकल के इस्तेमाल को लेकर ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, लेकिन रिफिलिंग और सिलेंडर की कमी के कारण थोड़ी दिक्कतें आ रही हैं। इस दिशा में रिफिलिंग सेंटर बढ़ाने और पर्याप्त सिलेंडर की व्यवस्था को लेकर आपूर्ति के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए सिलेंडरों का क्षमता विस्तार किया जा रहा है, ताकि ऑक्सीजन को लेकर मरीजों को किसी तरह की कठिनाई नहीं हो। इस दौरान ड्रग्स निदेशक ने मुख्यमंत्री को बताया कि केंद्र सरकार को 17 हजार अतिरिक्त सिलेंडर की आवश्यकता से अवगत करा दिया गया है।
अस्पतालों ने उपलब्ध सुविधाओं के साथ आवश्यकताएं बताई
राज्य के मेडिकल कॉलेजों के निदेशक/सुपरिटेंडेंट और निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर उनके द्वारा की गई व्यवस्थाओं की जानकारी से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। इसके अलावा उन्होंने अपनी समस्याओं और परेशानियों को बताने के साथ कई अहम सुझाव भी दिए।
ये अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे
इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, नगर विकास और आवास विकास के सचिव विनय कुमार चौबे, एनआरएचएम के अभियान निदेशक रविशंकर शुक्ला, ड्रग्स निदेशक श्रीमती रितु, ऑक्सीजन टास्क फोर्स के जितेंद्र कुमार के अलावा रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद, मेदांता, रांची के डॉ मुख्तार, मेडिका, रांची के डॉ विजय मिश्रा, राज अस्पताल रांची के डॉ जोगेश गंभीर, टीएमएच, जमशेदपुर के डॉ राजन चौधरी, अंजुमन इस्लामियां अस्पताल, रांची के डॉ सैयद इकबाल हुसैन, एमजीएम, जमशेदपुर के डॉ संजय कुमार, एनएमसीएच, धनबाद के डॉ एके चौधरी, फूलो-झानो मेडिकल कॉलेज, दुमका के डॉ अरुण कुमार, पलामू मेडिकल कॉलेज के डॉ केएन सिंह, हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के डॉ विनोद कुमार और पल्स अस्पताल रांची के प्रतिनिधि शामिल थे।
चर्चा में आये महत्वपूर्ण सुझाव
● संक्रमितों के लिए आइसोलेशन सेंटर बनाया जाए, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर में एक व्यक्ति के संक्रमित होने से उसके घरवाले भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। इस वजह से संक्रमण का खतरा काफी बढ़ता जा रहा है। ऐसे संक्रमितों को आइसोलेशन सेंटर में रखने से संक्रमण के फैलाव को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
● निजी अस्पतालों ने सरकार से क्रिटिकल केयर बेड बढ़ाने की दिशा में सरकार से सहयोग मांगा, ताकि मरीजों को बेड और बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके।
● अस्पतालों में ऑक्सीजन युक्त बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार तेजी से कदम उठाए, क्योंकि अभी के हालात में गंभीर मरीजों की संख्या के हिसाब से यह पर्याप्त नहीं है। इसकी कमी को दूर किया जाए।
● रांची समेत अन्य शहरों के बड़े अस्पतालों में मरीजों की संख्या उनके क्षमता के हिसाब से काफी ज्यादा है। इस वजह से बेड की समस्या पैदा हो गई है। ऐसे में छोटे-छोटे अस्पतालों को पूरी तरह कोविड अस्पताल बनाने अथवा इन अस्पतालों में चिकित्सीय संसाधन उपलब्ध कराकर इंपावर बनाए जाए, ताकि वहां भी मरीजों का बेहतर इलाज हो सके।
● कोरोना के बढ़ते मामले की वजह से अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग काफी बढ़ गई है, लेकिन वैसे अस्पताल जो सिलेंडर के जरिए आक्सीजन मरीजों को उपलब्ध कराते है, वहां सिलिंडर की काफी किल्लत है। ऐसे मे ऑक्सीजन की नियमित आपूर्ति बनाए रखने के लिए सिलेंडर की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
● कई अस्पतालों ने मानव बल बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आज कई चिकित्सक, नर्स और अन्य पारा मेडिकल कर्मी भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। वहीं निजी अस्पतालों में कई चिकित्सा कर्मी नौकरी छोड़ दे रहे हैं। इस वजह से संक्रमितों के इलाज में दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि अभी की परिस्थिति में स्वास्थ्य को अनिवार्य सेवा घोषित कर एडवाइजरी जारी करे, ताकि कोई भी स्वास्थ्यकर्मी नौकरी नहीं छोड़े। इसके अलावा अतिरिक्त चिकित्सकों और नर्सों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाए।
● अंजुमन इस्लामिया अस्पताल, रांची के प्रतिनिधि ने कहा कि बेड नहीं मिलने की वजह से मरीज व उसके परिजन अस्पताल में हंगामा करने लगते हैं। ऐसे में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराया जाए। उन्होंने हज हाउस को कोविड केयर सेंटर बनाने का भी सुझाव दिया।