बीएयू में चावल अनुसंधान के लिए नई वैज्ञानिक दल की मिली स्वीकृति

झारखंड
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  • विवि वैज्ञानिकों ने चावल वैज्ञानिक की राष्ट्रीय वार्षिक बैठक में भाग लिया

रांची। आईसीएआर, नई दिल्ली की भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा वर्चुअल मोड में चार दिवसीय राष्ट्रीय चावल वैज्ञानिक कार्य समूह की वार्षिक बैठक आयोजि‍त की गई। इसमें अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजनाओं से जुड़े बीएयू के दो वैज्ञानिकों सहित पूरे देश के 350 से भी अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

चार दिनों तक चले इस बैठक में बीएयू के धान प्रजनक वैज्ञानिक डॉ कृष्णा प्रसाद एवं धान कीट विशेषज्ञ डॉ रविन्द्र प्रसाद ने परियोजना अधीन रांची केंद्र का प्रतिनिधित्व किया। दोनों वैज्ञानिकों ने देश भर में वर्ष 2020 में किये गए शोध कार्यो की उपलब्धियों की समीक्षा एवं मूल्यांकन की चर्चा में भाग लिया।

बीएयू वैज्ञानिकों ने रांची केंद्र द्वारा परियोजना के अधीन चावल शोध से सबंधित नवीन किस्म/प्रजातियों को विकसित की जाने वाली विभिन्न प्रजनन एवं आनुवांशिकी, शस्य एवं हानिकारक कीट व रोग ब्याधि सबंधी प्रयोगों की उपलब्धियों एवं भावी रणनीति एवं कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया।

बैठक में चावल अनुसंधान के पांच वर्षीय राष्ट्रीय जांच दल द्वारा बीएयू के शोध कार्यो की सराहना की गयी। विवि‍ के शोध कार्य एवं प्रदेश में धान फसल के महत्‍व को देखते हुए बीएयू मुख्यालय के अतिरिक्त क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, दारीसाई (पूर्वी सिंहभूम) के लिए चावल अनुसंधान के लिए एक नई वैज्ञानिक दल की स्वीकृति प्रदान की गई। इस दल में चावल प्रजनक, चावल शस्यविद एवं चावल कीट विशेषज्ञ के पदों को सृजित करने की अनुशंसा प्रदान की गई।

इस राष्ट्रीय बैठक में आईसीएआर महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने देश की बढ़ती जनसंख्या के खाद्यान की आवश्यकता एवं संतुलित पोषण आधारित चावल किस्मों के विकास, उत्पादन एवं उत्पादकता पर सतत टिकाऊ एवं लाभकारी वृद्धि वाली शोध रणनीति बनाने पर बल दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों को चावल शोध की संभावित भावी योजनाओं के दीर्घगामी परिणामों के लिए वैज्ञानिकों को मनोयोग से शोध कार्य में लगे रहने को कहा।