पशुओं की देखभाल में टीकाकरण और कृमिनाशक का विशेष महत्‍व : डॉ सुशील प्रसाद

कृषि झारखंड
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रांची। बेहतर प्रबंधन से पशुधन को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। इसके लिए पशुओं की देखभाल में नियमित अंतराल पर टीकाकरण एवं प्रत्येक दो महीने में कृमिनाशक दवा से उपचार किया जाना जरूरी है। उक्त बातें बीएयू के डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने आत्मा, रोहतास के सौजन्य से पशु चिकित्सा संकाय में आयोजित पांच दिवसीय अंतर राजकीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह के अवसर पर कही।

उन्‍होंने कहा कि पशुओं का समय पर देखभाल एवं रोग से बचाव से लागत एवं नुकसान में कमी के साथ अधिक लाभ लिया जा सकता है। यह प्रशिक्षण तब सफल होगा, जब सभी प्रशिक्षाणार्थी गांव के कम से कम दस किसानों को उन्नत पशुपालन तकनीकों से प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षण से प्राप्त बकरी, सूकर, मुर्गी एवं डेयरी पालन के तकनीकी व्यावहारिक जानकारी से ग्रामीणों को जागरूक किये जाने पर बल दिया।

डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन डॉ जगरनाथ उरांव ने इस प्रशिक्षण को रोजगार से जुड़ा विषय बताया। उन्नत पशुपालन तकनीकों को गांवों में मूर्त रूप देने पर जोर दिया। प्रशिक्षाणार्थी संजय सिंह ने प्रशिक्षण को काफी उपयोगी एवं सफल बताया। विभिन्न पशुओं के नस्लों एवं उनके प्रबंधन तकनीकी को ग्रामीण स्तर पर लाभकारी बताया। मौके पर डीन वेटनरी ने सभी प्रशिक्षाणार्थियों से प्रशिक्षण के अनुभवों के बारे में जाना। उन्हें प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्रदान किया।

पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ आलोक कुमार पांडे ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन संकाय के पशु प्रसार शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सभी 22 प्रतिभागी रोहतास जिले में आत्मा के माध्यम से पशुधन स्वयं सहायता समूह से जुड़े किसान है। कार्यक्रम में किसानों को पशु फार्म में पशुओं और बकरी पालन से सबंधित संभावनाओं, विभिन्न नस्ल व विशेषताएं, आवास की व्यवस्था, विभिन्न समस्या व निदान, छौनों की देखभाल, आहार, रोग व बीमारी की पहचान एवं चिकित्सा आदि का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। मौके पर आत्मा, रोहतास के दो बीटीएम और एक एटीएम सहित संकाय डॉ निशांत पटेल, डॉ भूषण सिंह, संगीता तिवारी आदि भी मौजूद थे।