सरकार कर रही विपक्ष को अनदेखा, समय से पहले संसद स्थगित करने पर भी नहीं ली सलाह : कांग्रेस

देश नई दिल्ली
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने केन्द्र सरकार पर संसद की कार्यवाही के दौरान विपक्ष को पूरी तरह से अनदेखा कर देने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि सरकार विधेयकों को प्रवर समिति को भेजने की मांग को अनसुना और विपक्ष के हर सवाल को अनदेखा कर रही है। साथ ही संसद की कार्यवाही को तय समय से पहले स्थगित करने पर भी विपक्ष की राय नहीं ली गई।

दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में कांग्रेस पार्टी ने सरकार के संसद सत्र को शीघ्र समाप्त किए जाने के फैसले पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह भाजपा सरकार के नेताओं की व्यस्तता के कारण किया गया है। पार्टी का आरोप है कि संसद के बजट सत्र में रचनात्मक सहयोग करने के बावजूद कांग्रेस नेताओं की मांगों को सिरे से अनसुना कर दिया। कांग्रेस ने महंगाई, तीनों कृषि कानून और एनसीटी संशोधन बिल जैसे जनसरोकार के मुद्दों को उठाया।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश, अधीर रंजन चौधरी की अनुपस्थिति में लोकसभा में कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सरकार पर विपक्ष की बातों को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ‘प्रचंड बहुमत के अहंकार’ में है और अन्य राज्यों की चुनी सरकार के अधिकारों को रौंदने में लगी है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘हमने सदन में पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस और मिट्टी के तेल के मूल्य वृद्धि के मुद्दे को उठाया। हमने केंद्र से इस बारे में पूछा कि पिछले छह वर्षों में उपकर और उत्पाद शुल्क से कमाए 22 लाख रुपये से अधिक के राजस्व को कहां और कैसे खर्च किया, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला।’ उन्होंने सरकार ने विपक्ष के सवालों को सिर्फ टालने का काम किया।

वहीं, खड़गे ने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 और कुछ अन्य विधेयकों को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई। यह सरकार बहुमत के अहंकार में किसी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने के लिए सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है।

राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी संसद सत्र को समय से पहले समाप्त करने के पक्ष में नहीं थी। कांग्रेस चाहती थी कि सत्र आठ अप्रैल तक चले और जनता के मुद्दों पर बात हो। लेकिन प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भाजपा के दूसरे नेताओं को चुनाव में जाना था, इसलिए सत्र को पहले ही खत्म कर दिया गया।

रमेश ने यह भी दावा किया कि सरकार ने इस सत्र में दिल्ली से जुड़े विधेयक समेत कई ऐसे विधेयक पारित करवाए हैं, जिनको उच्चतम न्यायालय में चुनौती मिल सकती है। दिल्ली और खनिज से जुड़े विधेयकों को न्यायालय में चुनौती मिलेगी। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि रचनात्मक सहयोग देने के बाद भी विपक्ष खासकर कांग्रेस की मांगों को नहीं माना गया। तीन काले कानूनों पर चर्चा तथा डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण के सरकार का प्रयास पर चर्चा करने की मांग की थी, जिसे नहीं सुना गया।

इस दौरान राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त-पोषण बैंक विधेयक, 2021 के संसद से पारित होने पर आश्चर्य जताते हुए जयराम रमेश ने कहा कि इस संस्था को कानून द्वारा बनाया जा रहा है। यह सरकारी संस्था है, जिसकी सीबीआई अथा सीवीसी जांच नहीं होगी। ना ही कैग इसका ऑडिट करेगा। इस संस्था में लोक लेखा समिति (पीएसी) की कोई भूमिका नहीं होगी। यह अद्भुत है।

रवनीत बिट्टू ने कहा कि हमने किसान विरोधी काले कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की लेकिन केंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया। जैसे जन सरोकार के विषयों से उनका कोई ताल्लुक ही ना हो।