भारी वर्षा, बर्फबारी और आंधी-तूफान के संकेत, जानें किन राज्यों में होगा असर

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  • अगले एक सप्ताह के दौरान देश में कड़ाके की गर्मी की स्थिति नहीं

नई दिल्ली। देश में आने वाले दिनों में कई राज्यों में भारी बारिश और बर्फबारी हो सकती है। आंधी-तूफान चलने की आशंका भी हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र ने ये संकेत दिये हैं। अगले एक सप्ताह के दौरान देश में कड़ाके की गर्मी की स्थिति नहीं है।

राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार एक सघन पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के ऊपर छिटपुट से व्यापक वर्षा हो सकती है। 21 से 24 मार्च, 2021 के दौरान उत्तर-पश्चिमी भारत के समीपवर्ती मैदानी क्षेत्रों में छिटपुट स्थानों पर हल्की से मामूली वर्षा होने का अनुमान है। 22 एवं 23 मार्च, 2021 को पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के ऊपर कहीं-कहीं भारी वर्षा एवं बर्फबारी की भी आशंका है।

केंद्र के अनुसार 21 मार्च, 2021 तक मध्य प्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में तूफान, बिजली कड़कने और तेज हवाओं (30-40 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति) के साथ छिटपुट वर्षा की संभावना है।

अगले दो सप्ताह के लिए पूर्वानुमान

18 से 24 मार्च, 2021

उत्तर पश्चिम, समीपवर्ती मध्य भारत और सुदूर दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान। उत्तरी प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में सामान्य तथा सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान। देश के शेष भागों में सामान्य से कम वर्षा का अनुमान है।

25 से 31 मार्च, 2021

किसी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति के कारण देश के उत्तरी भागों में सामान्य से कम वर्षा गतिविधि रहने का अनुमान है। दक्षिणी प्रायद्वीप भारत में हवा की अनिरंतर स्थिति के कारण दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में गरज के साथ वर्षा तथा बिजली कड़कने के साथ हल्की से मामूली वर्षा का अनुमान है। इस प्रकार वर्षा गतिविधि के उपर्युक्त क्षेत्र में सामान्य तथा सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है। देश के शेष भागों में सामान्य से कम वर्षा का अनुमान है।

संभावित सूखे मौसम के कारण (दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत को छोड़) अधिकतम तापमान के देश के ज्यादातर भागों में धीरे-धीरे बढ़ने का अनुमान है। उत्तर-पश्चिम पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत में सामान्य एवं सामान्य से ज्यादा अधिकतम तापमान रहने का अनुमान है। दक्षिण प्रायद्वीपीय एवं समीपवर्ती मध्य भारत में इनके सामान्य से 2 से 3 डिग्री सेल्सियस कम रहने का अनुमान है।