चार हजार फूलों के पौधे ने बदल दी तकदीर

झारखंड
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जमशेदपुर। फूलों के पौधों से भी भला तकदीर बदल सकती है। यह बात सुनकर आपको यकीन नहीं होगा। हालांकि यह सच है। चार हजार फूल के पौधों ने एक किसान की तकदीर बदल दी। स्थिति यह हो गई है कि आसपास के किसान भी उनकी तरह ही फूलों की खेती करना चाह रहे हैं।

यह कहानी झारखंड के जमशेदपुर जिले के घाटशिला प्रखंड की हेंदल जुड़ी पंचायत के हलुदबनी गांव के निवासी राजेश महतो (पिता कृष्ण चंद्र महतो) की है। उद्यान विभाग से मिले चार हजार जरबेरा फूल के पौधों की खेती चर्चा का विषय बन चुकी है।

राजेश उन पौधों से 30 डिसमिल जमीन पर राजेश खेती कर रहे हैं। वे बताते है कि‍ फूलों की खेती में वैज्ञानिक तरीके का प्रयोग कर काफी सकारात्मक प्रगति देखने को मिली है। उन्होंने पॉलीहाउस बनाकर जरबेरा के फूलों के पौधों की खेती की है। इससे एक निश्चित सामान्य ताप पौधों को प्राप्त होता है। इसके अलावा ड्रि‍प इरिगेशन अर्थात टपक पद्धति से सिंचाई की व्यवस्था की है, जिससे पानी की समुचित मात्रा पौधों की जड़ों में पहुंचेती है। पानी की खपत भी कम होती है।

समय-समय पर उद्यान एवं कृषि विभाग द्वारा दवाइयां एवं खाद् के प्रयोग को लेकर उन्हें महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती है। वे बताते है कि‍ जरबेरा का एक फूल 10 से 20 रुपये में बिकता है। लगभग सालों भर इसकी बिक्री होती है। खासकर शादी-विवाह के मौसम में बहुत मांग होती है। घाटशिला के बगल में टाटानगर होने के कारण अच्छा बाजार भी उपलब्ध हो गया है। खास बात यह है कि उनको जरबेरा के फूलों की खेती में ज्यादा परिश्रम और देखरेख की जरूरत नहीं करनी पड़ती है।

महतो कहते हैं कि उनके पास परती जमीन और भी उपलब्ध है। उद्यान विभाग द्वारा उन्हें गेंदा, गुलाब के फूलों की खेती के लिए भी पौधा उपलब्ध कराया जाता है तो उनकी आमदनी में गुणोत्तर वृद्धि होगी। फूलों की खेती और इसके आय के स्रोत को देखते हुए गांव के बाकी लोग फूलों की खेती करने का विचार कर रहे हैं।

महतो ने कहा कि यदि विभाग और भी कृषकों को यह अवसर प्रदान करें तो हमारा प्रखंड फूलों की मंडी के रूप में विकसित हो सकता है। यहां के लोगों को बंगाल और झाड़ग्राम का रुख नहीं करना पड़ेगा। आय के स्रोत भी बढ़ेंगे। कम दाम पर फूलों की खरीदारी स्थानीय लोग कर सकेंगे।