- पलामू के विभिन्न क्षेत्रों के 72 एकड़ भूमि पर हो रही खेती
- प्रमंडलीय आयुक्त ने स्ट्रॉबेरी की खेती का किया अवलोकन
पलामू। झारखंड के पलामू जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान स्वावलंबी बनेंगे। पारंपरिक खेती से हटकर स्ट्रॉबेरी सहित संभावना वाली अन्य फसलों को लगाने के लिए प्रेरित होंगे। इससे किसान ना केवल अपनी आमदनी बढ़ायेंगे, बल्कि युवा पीढ़ी भी खेती को अपनाने के लिए प्रेरित होगी। यहां की स्ट्रॉबेरी की फल साइज बेहतर है। बाजार की मांग के अनुरूप है। इसका रंग और मिठास भी ठंडे क्षेत्रों जैसी है। उक्तक बातें पलामू के प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने कही। उन्होंने जिले के हरिहरगंज में किसानों द्वारा की जा रही स्ट्रॉबेरी की खेती का अवलोकन किया।
आयुक्त ने स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे दीपक मेहता और अन्य किसानों से बातचीत की। पलामू में स्ट्रॉबेरी एवं अन्य नकदी फसलों की संभावनाओं को जाना। आयुक्त ने गर्मी के मद्देनजर स्ट्रॉबेरी की खेती में सिचाई का पूरा ध्यान रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि खेतों में स्ट्रॉबेरी को अधिक नहीं पकने दें। इससे फल बर्बाद होगा। फल में लालिमा आने पर तोड़ाई की सलाह दी, ताकि तोड़ा हुआ फल भी अधिक समय तक सुरक्षित रह सके। उन्होंने खेतों में खर-पतवार की निकौनी करते रहने की भी सलाह दी। किसानों द्वारा स्ट्रॉबेरी की मेढ़ पर खीरा का फसल लगाया गया था, जिसे देख आयुक्त प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि एक फसल की समाप्ति से पहले दूसरी फसल का तैयार होना किसानों की मेहनत और आत्मविश्वास का परिचायक है।
आयुक्त ने किसान दीपक मेहता से स्ट्रॉबेरी की नर्सरी, उसे बाजार में बेचे जाने की प्रक्रियाओं और बाजार मूल्यों के बारे में जाना। इस दौरान किसानों ने उन्हें बताया कि यहां की स्ट्रॉबेरी की पलामू सहित राज्य के अन्य जिलों एवं दूसरे राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़ और बंगाल के कई शहरों में मांग है। यहां तक कि बिग बाजार जैसे बड़े मॉल में भी जा रहा है। किसानों ने और अधिक खेत की उपलब्धता कराने संबंधित आयुक्त के समक्ष मांग रखी, ताकि स्ट्रॉबेरी की खेती ज्यादा मात्रा में की जा सके।
आयुक्त ने कहा कि स्ट्रॉबेरी की मूल्यसंवर्धन के लिए छोटी प्रोसेसिंग यूनिट एवं जूस बनाने का प्लांट लगाए जाने से किसानों को और फायदा होगा। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर पहल की जाएगी। जूस बनाने की व्यवस्था से अधिक पक जाने वाले फल को बर्बाद होने की जगह जूस तैयार कर बिक्री की जाएगी, ताकि किसानों को उससे भी मुनाफा हो सके।
किसान दीपक मेहता ने बताया कि उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर कुछ अलग करने को सोची। वैकल्पिक खेती की ओर कदम बढ़ाते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती करनी शुरू की। इसके खेती से उसे ना केवल आमदनी बढ़ी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार दी। साथ ही उससे प्रेरित होकर अन्य किसानों ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती करना प्रारंभ किया, जिससे किसानों की जीवनशैली में सुधार आ रहा है।
‘स्ट्रॉबेरी‘ की क्यारियों को प्लास्टिक शीट से ढंककर टपक सिंचाई के माध्यम से सिंचाई की जा रही है। हरिहरगंज में 11 किसान मिलकर 36 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। इसके अलावा नौडिहा बाजार, हुसैनाबाद आदि पलामू के विभिन्न क्षेत्रों के 72 एकड़ की भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। इससे किसानों को प्रति एकड़ तीन से चार लाख रुपये का फायदा हो रहा है। हरिहरगंज के दीपक मेहता के साथ शुभम, रौशन, राजीव रंजन, छोटन आदि किसान जुड़कर सामूहिक रूप से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।