रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अंतर्गत वेटनरी कॉलेज में शनिवार से पशुधन विषयों पर दो प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत की गयी। पहला 5 दिवसीय सूकर और बकरी पालन विषयक प्रशिक्षण आत्मा, पाकुड़ के सौजन्य से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में पाकुड़ जिले के 9 महिला और 16 पुरूष सहित 25 प्रतिभागी भाग ले रहे है। दूसरा 5 दिवसीय पशुपालन प्रबंधन विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम आत्मा, रोहतास के सौजन्य से किया जा रहा है। इसमें बिहार के रोहतास जिले के 22 पुरूष प्रतिभागी भाग ले रहे है।
कार्यक्रम के उद्घाटन मौके पर डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कहा कि कृषि क्षेत्र में पशुपालन बेहद लाभकारी माध्यम के रूप में उभर कर सामने आया है। पशुपालन में बेहतर प्रबंधन एवं व्यवसायिक नजरिया अपनाने की जरूरत है। उन्होंने इन प्रशिक्षणों से ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन से स्वरोजगार और अतिरिक्त आमदनी के सृजन को बढ़ावा मिलने की बात कही।
पाठ्यक्रम समन्यवयक डॉ एके पांडे ने बताया कि पशुपालन के प्रति ग्रामीण लोगों में काफी आकर्षण बढ़ा है। किसान वैज्ञानिक प्रबंधन से अधिकतम लाभ लेने की दिशा में प्रयास कर रहे है। कोरोनाकाल में करीब एक वर्ष तक कॉलेज में प्रशिक्षणों का आयोजन नहीं किया जा रहा था। लॉकडाउन में शिथिलता के बाद कॉलेज के पशु प्रसार शिक्षा विभाग द्वारा कोविड -19 के निर्देश का पालन करते हुए विगत तीन महीनों में दस दिवसीय गैर आवासीय 7 प्रशिक्षणों का आयोजन किया जा चुका हैं। इनमें पशुपालन प्रबंधन तहत सूकर पालन पर 88, गौ पालन पर 11, बकरी पालन पर 18, मुर्गी पालन पर 22, मछली पालन पर 6, बत्तख पालन पर 4 और बटेर पालन पर 2 सहित 156 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
डॉ पांडे ने बताया कि पाकुड़ के किसानों को कॉलेज के फार्म में सूकर व बकरी पालन से सबंधित संभावनाओं, विभिन्न नस्ल व विशेषताएं, आवास की व्यवस्था, विभिन्न समस्या व निदान, छौनों की देखभाल, आहार, रोग व बीमारी की पहचान एवं चिकित्सा आदि का व्यावहारिक प्रशिक्षण दी जाएगी। रोहतास के किसानों को कॉलेज के विभिन्न फार्म में बकरी, मुर्गी व गौ पालन से सबंधित विषयों का व्यावहारिक जानकारी से अवगत कराया जायेगा।