रांची। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने यू टर्न लिया। रांची में 7 फरवरी को हुई जनाक्रोश रैली में खुद को बिहारी बताया। मारवाड़ी और बिहारियों पर पिछले दिनों बयान देकर वे विवादों में घिर गये थे।
डॉ उरांव ने कहा कि वर्ष 2000 से पहले तो हम सब बिहारी थे। आज भी मैं खुद को एक बिहारी ही मानता हूं। रामेश्वर उरांव ने कहा कि चाहे यूपी हो या कोई और राज्य। हमने यहां आने के लिए किसी को कभी नहीं रोका है। जब भी हमारे यहां कोई आता है। हम उसे ‘दोना’ देते है। दोना मतलब खाना। हमारे मन में सबके लिए सम्मान है। मगर कोई जमीन जबरन हथियाना चाहे तो हम उसे छोड़ेंगे भी नहीं।
डॉ उरांव ने कहा कि वर्ष 1912 में बंगाल से बिहार अलग हुआ, जबकि 1932 में ओड़िशा अलग हुआ। अंग्रेजी शासन में झारखंड को भी 1946 तक अलग राज्य बनाने का वायदा किया गया था, परंतु इस बीच द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो जाने के कारण अलग झारखंड राज्य नहीं बन पाया। जयपाल सिंह मुंडा के संघर्ष और बाद में दिशोम गुरू शिबू सोरेन, शहीद निर्मल महतो समेत अन्य ने अपनी कुर्बानी देकर अलग झारखंड का गठन कराया।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से एक षड़यंत्र के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले को पिछले दिनों रांची में रोकने की कोशिश की गयी और सुरक्षाकर्मियों और आम लोगों पर हमला करने की कोशिश की गयी। इससे साफ हो जाता है कि भाजपा नेताओं द्वारा देशभर में गैर भाजपाई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। मध्यप्रदेश, कर्नाटक समेत कई राज्यों में जबरन सत्ता हथिया लिया गया। झारखंड में भी कोशिश की गयी, लेकिन यह सफल नहीं होने पर सरकार को बदनाम करने की साजिश शुरू की गयी।