लीक से हटकर कर रहे खेती, सालाना आमदनी 2 लाख रुपये

झारखंड
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जमशेदपुर। कई किसान परंपरागत खेती को छोड़ना नहीं चाहते हैं। हालांकि इससे हटकर खेती करने वाले किसानों की आमदनी में इजाफा हुआ है। उनकी स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर हो गई है। इन्हीं किसानों में एक हैं मंगल सोरेन। उन्होंने लीक से हटकर खेती की। वे सालाना लगभग 2 लाख रुपये की आमदनी कर रहे हैं।

दस एकड़ जमीन है पास

मंगल सोरेन मुसाबनी प्रखंड अंतर्गत पारूलिया पंचायत के रोहनीगोड़ा गांव के रहने वाले हैं। उनके पास 10 एकड़ जमीन हैं। इसमें पहले वे पारंपरिक खेती किया करते थे। हालांकि आत्मा-कृषि विभाग से जुड़कर अब वे सब्जी और दलहन की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। श्री सोरेन ने बताया कि प्रयोग के तौर पर पहले उन्होंने 3 एकड़ खेत में मक्का, सरसों, चना, अरहर, टमाटर, फुलगोभी एवं बैगन की खेती की। अच्छी आमदनी होने पर पूरा ध्यान सब्जी और दलहन की खेती में देने लगे। कुछ एकड़ में घर के लिए धान और गेहूं भी उपजाते हैं।

नई तकनीक की मिली जानकारी

मंगल सोरेन विगत 6 वर्षों से कृषि विभाग से जुड़े है। इससे पहले सिर्फ एक ही मौसम में परपंरागत विधि से धान की खेती करते थे। उन्हें लागत की तुलना में आमदनी कम होती थी। मंगल सोरेन मात्र 5वीं पास हैं, परंतु कृषि की नवीनतम तकनीक की जानकारी के प्रति जिज्ञासु होने के कारण आत्मा-कृषि विभाग से जुड़े। आत्मा द्वारा आयोजित किये जाने वाले प्रशिक्षण एवं परिभ्रमण कार्यक्रमों में लगातार शामिल होते रहे, जिससे उन्हें तकनीकी जानकारी मिली। प्रखंड स्तरीय प्रसार कर्मी से भी खेती को लेकर मार्गदशन मिलता रहा। इसके कारण वर्तमान में मंगल सोरेन धान सब्जी, दलहन की खेती कर सलाना लगभग 1.80 से 2 लाख तक की आमदनी कर रहे हैं। अब परिवार के जीवन-यापन एवं आर्थिक जरूरतों को पूर्ण करने में उन्हें सहूलियत हो रही है।

नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम होता है

जिला कृषि पदाधिकारी मिथलेश कुमार कालिंदी कहते हैं कि जिले के किसानों के लिए कृषि विभाग द्वारा नियमित प्रशिक्षण एवं परिभ्रमण कार्यक्रम संचालित किया जाता है। पदाधिकारी भी नियमित क्षेत्र का भ्रमण कर किसानों से संवाद स्थापित करते हुए खेती-किसानी कार्य के लिए मार्गदर्शन देते रहते हैं। उन्होंने बताया कि इच्छुक किसानों को आत्मा-कृषि विभाग से विभिन्न योजना के तहत सरसों, गेहूं, अरहर, चना का बीज समय-समय पर उपलब्ध कराया जाता है।

पलायन से बेहतर खेती पर ध्यान दें

मंगल सोरेन कहते हैं कि आय के लिए दूसरे व्यवसाय पर निर्भर नहीं रहने एवं पलायन करने से बेहतर है कि जिन किसान के पास खेत हो, वे खेती-किसानी कार्य को विस्तार दें। इसके लिए आवश्यक है कि खुद जागरूक होते हुए प्रखंड या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क कर विभिन्न लाभकारी योजनाओं को जानें। पदाधिकारी जब क्षेत्र भ्रमण पर आते हैं, तब मार्गदर्शन लेकर कृषि की नई तकनीक से अवगत हों। इससे उन्हें कम लागत में अच्छा मुनाफा होगा। लॉकडाउन जैसे हालात में भी जब सभी लोग रोजगार छीन जाने एवं आय के स्रोत को लेकर परेशान थे, तब उन्हें अपने कृषि कार्य के कारण ही आय को लेकर परेशान नहीं होना पड़ा। गृहस्थी की गाड़ी सुगमता से चलती रही।