बीएयू : कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट पर हुआ जागरुकता अभियान कार्यक्रम

झारखंड
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रांची। नेशनल कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडेक्स) के प्लेटफोर्म पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट विषय पर वेबिनार माध्यम से जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वेबिनार में मुख्य वक्ता नाहेप-कास्ट परियोजना के मुख्य अन्वेंषक डॉ एमएस मल्लिक ने कमोडिटी मार्केट को वस्तुओं के शेयर को खरीदने और बेचने का माध्यम बताया। उन्‍होंने कहा कि यह शेयर मार्केट की तरह ही काम करता है, जहां वस्तुओं के शेयर को खरीद और बेच कर मुनाफा कमा सकते है। कमोडिटी एक ट्रेडिंग उत्पाद होता है, जिसमें सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि ट्रेडिंग की जा सकती है। कमोडिटी बाजार में वस्तुओं की मांग और आपूर्ति का विशेष महत्‍व होता है। विश्व के अधिकतर कमोडिटी बाजार कृषि उत्पादों और कच्चे वस्तुओं का कारोबार करते है। साथ ही समन्वित कृषि प्रणाली में कृषि उत्पादों की कम मात्रा से विपनन में आ रही दिक्कतों पर चर्चा की।

मौके पर नाहेप-कास्ट परियोजना के उद्यान सलाहकार डॉ अंगदी रब्बानी ने बागवानी फसलों की कम सेल्फ लाइफ से नुकसान से बचाव के लिए प्रभावी विपणन व्यवस्था अपनाने की आवश्यकता जताई। परियोजना के सह अन्वेंषक डॉ बीके झा ने स्पॉट मार्केट और फ्यूचर मार्केट के महत्त्व को रेखांकित करते हुए किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने में कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट की भूमिका पर प्रकाश डाला।

एनसीडेक्स अधिकारी अभिषेक दत्ता ने बताया कि निवेशक स्पॉट प्राइस, फॉरवर्ड, फ्यूचर्स और ऑप्शंस का उपयोग करके फिजिकल ट्रेडिंग और डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग माध्यम से इसमें शामिल हो सकते हैं। एनसीडेक्स द्वारा 30 प्रकार के कृषि उत्पादों का कारोबार किया जाता है। समन्वित कृषि प्रणाली से जुड़े किसान कम उत्पाद से विपणन की समस्या के समाधान के लिए एफपीओ बनाकर दूर कर सकते है।

मौके पर कंपनी के सिक्योरिटीज अधिकारी शूभांशु और बीपीडी-बीएयू सोसाइटी के डॉ सिद्धार्थ जायसवाल ने भी कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट की बारीकियों पर प्रकाश डाला। वेबिनार में बीएयू वैज्ञानिकों व छात्रों एवं किसानों सहित करीब 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।