खेलों में महिलाओं की प्रतिभागि‍ता भारत को एक खेल महाशक्ति में परिवर्तित करने की कुंजी है

विचार / फीचर
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किरेन रिजिजू

देश के युवाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का मंत्र ‘खेलेगा इंडिया तो खिलेगा इंडिया’ देश में पिछले कुछ सालों में खेल के प्रति समझ में बदलाव लाने का मुख्‍य कारक रहा है। खेलों को एक समय में ज्‍यादातर लोग पढ़ाई से अलग सिर्फ एक मनोरंजक गतिविधि मानते थे, लेकिन अब यह केन्‍द्र में आ गया है। युवा मामलों और खेल मंत्रालय द्वारा अपनाई गई योजनाओं-चाहे वो खेलो इंडिया हो, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्‍कीम हो या फिट इंडिया मूवमेंट हो, ने खेलों में गंभीरतापूर्वक अपना कैरियर बनाने के लिए युवा मानस को प्रेरित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की है। अब इस दिशा में बढ़ने वालों की संख्‍या दिनोंदिन बढ़ रही है। खासतौर से बालिका एथलीटों के लिए समानुभूति और समावेश-परिवर्तनकारी एवं महत्‍वपूर्ण साबित हुआ है। अब जब हम राष्‍ट्रीय बालिका दिवस मना रहे हैं तो यह देखना जरूरी है कि हमारी सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास’ के लक्ष्‍य को लेकर क्‍या कार्यनीति अपनाई है। इसके परिणामस्‍वरूप बालिका और महिलाओं से संबंधित मामलों, खासतौर से खेलों में किस तरह का परिवर्तन आया है।

पिछले कई वर्षों से भारतीय खेल मंच पर हमारी महिला एथलीटों ने जबरदस्‍त प्रदर्शन किया है। सबसे महत्‍वपूर्ण यह है कि उन्‍होंने विश्‍व को दिखा दिया है कि ‘भारत की महिला’ चुनौतियों का सामना करने और विश्‍वभर में ख्‍याति प्राप्‍त करने के लिए तैयार है। महिला खिलाड़ि‍यों के इन शानदार प्रदर्शनों और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा हाल में किए गए सुधारों के फलस्‍वरूप खेलों में महिलाओं की समावेशिता और उनकी शिरकत के प्रति जागरुकता पैदा हुई है। इससे युवतियों की एक पूरी पीढ़ी को खेलों में सक्रिय तौर पर भाग लेने की प्रेरणा मिली है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि आने वाले टोक्‍यो ओलंपिक्‍स के लिए योग्‍य घोषित भा‍रतीय एथलीट्स में से 43 प्रतिशत महिला एथलीट हैं।

भारत को खेलों के मामले में महाशक्ति का दर्जा दिलाने के लिए महत्‍वपूर्ण है कि बिल्‍कुल शुरुआती स्‍तर से ही बच्‍चों की खेलों में प्रतिभागिता बढ़ाई जाए। एक विस्‍तृत प्रतिभागिता आधार बनाकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बड़ी संख्‍या में बच्‍चे खेल को अपने करियर के तौर पर अपनाएं। यह महत्‍वपूर्ण है कि इस प्रतिभागिता आधार का 50 प्रतिशत हिस्‍सा युवतियों के नाम हो और किसी भी कीमत पर उन्‍हें पीछे नहीं छोड़ा जाए। खेलो इंडिया योजना के तहत उन बाधाओं पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाता है जो खेल-कूद में भाग लेने वाली बच्चियों और महिलाओं के सामने पेश आती हैं। इन बाधाओं को दूर करने का तंत्र बनाने और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

2018 से 2020 के दौरान खेलो इंडिया कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी में 161 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खेलो इंडिया योजना के तहत 2018 में जहां 657 महिला एथलीटों की पहचान कर उन्‍हें समर्थन उपलब्‍ध कराया गया, वहीं अब यह संख्‍या बढ़कर 1471 (223 प्रतिशत की वृद्धि) हो गई है। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्‍कीम (टीओपीएस) के तहत हम उच्‍च प्रतिस्‍पर्धा वाले खेलों में अपने उन एथलीटों को अंतर्राष्‍ट्रीय प्रशिक्षण, विश्‍वस्‍तरीय शारीरिक और मानसिक अनुकूलन, वैज्ञानिक शोध, दिन-प्रतिदिन निगरानी और कांउसलिंग तथा पर्याप्‍त वित्तीय सहायता उपलब्‍ध कराते हैं, जो ओलंपिक स्‍वर्ण पदक जीतने की क्षमता रखते हैं। सितम्‍बर 2018 में टीओपीएस योजना के तहत 86 महिला एथलीटों को शामिल किया गया और यह बताने में मुझे बहुत प्रसन्‍नता हो रही है कि आज यह संख्‍या बढ़कर 190 (220 प्रतिशत की वृद्धि) हो गई है।

खेलों में महिलाओं को शामिल होने के लिए प्रोत्‍साहित करने के लिए हमें बड़े पैमाने पर सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव लाना जरूरी है। युवतियों को घरों से बाहर लाना, उन्‍हें सुरक्षित माहौल देना और शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति देना और इसके लिए उच्‍च स्‍तरीय कोचिंग और अवसंरचना उपलब्‍ध कराना-यह सरकार और समाज दोनों के सामूहिक प्रयास से ही संभव है। मुझे यह देखकर प्रसन्‍नता है कि बहुत सी महिला चैंपियन एथलीटों ने अपने खेल में उच्‍चतम कुशलता प्राप्‍त करने के बाद अपनी अकादमियां स्‍थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। ऐसी बहुत सी पहलों को युवा मामले एवं खेल मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय खेल विकास निधि के तहत सहायता और सहयोग उपलब्‍ध कराया है। ऊषा स्‍कूल ऑफ एथलेटिक्‍स, मैरीकॉम बॉक्सिंग फाउंडेशन, अश्विनी स्‍पोर्ट्स फाउंडेशन, सरिता बॉक्सिंग एकेडमी, कर्णम मल्‍लेश्‍वरी फाउंडेशन, अंजू बॉबी जॉर्ज स्‍पोर्ट्स फाउंडेशन आदि सभी पहलें इसके उदाहरण हैं। हम लगातार इन पहलों से करीबी तौर पर जुड़े हैं और महिला एथलीटों को अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के साथ युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के साथ जुड़कर खेलों के विकास के लिए काम करने को प्रोत्‍साहित करते हैं।

मेरा हमेशा से ही यह सुदृढ़ विचार है कि खेल सामाजिक आर्थिक विकास का एक प्रभावशाली हथि‍यार हैं। युवा मामले एवं खेल मंत्रालय लैंगिक समानता को बेहद महत्‍वपूर्ण मानता है और इस दिशा में काम कर रहा है। खेलों में शिरकत करने से युवतियों और महिलाओं के न सिर्फ शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार और उनका चारित्रिक निर्माण होगा बल्कि वे समाज में सुधार लाने और मानव मात्र के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर सकेंगी। भारत के विकास संबंधी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के प्रयासों के तहत हमारा मंत्रालय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ रणनीतिक सहयोग करने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।

हर वर्ष 24 जनवरी को मनाया जाने वाला राष्‍ट्रीय बालिका दिवस हमारे राष्‍ट्रीय लोकाचार के लिए बेहद प्रासंगिक है। आइये हम सब मिलकर यह शपथ लें कि हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि हमारी युवतियां अधिक-से-अधिक खेलों में शिरकत करें और इतना अच्‍छा प्रदर्शन करें कि हम एक देश के तौर पर ओलंपिक्‍स के उद्देश्‍यों – ‘सिटीयस, अल्‍टीयस, फोर्टियस’ यानी ‘तीव्र, उच्‍चतर, अधिक मजबूत’ के अधिक-से-अधिक करीब पहुंच सकें।

(लेखक केन्‍द्रीय युवा मामले एवं खेल राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) हैं)