विजय माल्या के प्रत्यर्पण में कानूनी अड़चन, सरकार ने कोर्ट को दी जानकारी

देश नई दिल्ली
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि शराब कारोबारी और देश छोड़कर भाग चुके विजय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले में विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार को केस के बारे में बताया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर कुछ कानूनी रुकावटें हैं, जिसके बारे में ब्रिटेन सरकार को बताया गया है। जब तक कानूनी बाधाएं दूर नहीं हो जाती हैं तब तक प्रत्यर्पण नहीं हो पाएगा। उसके बाद जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने 15 मार्च तक के लिए सुनवाई टाल दी।

दो नवंबर, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। 5 अक्टूबर, 2020 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माल्या के पेश नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि प्रत्यर्पण की सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी, लेकिन अब वहां हमारी जानकारी के बिना कोई गुप्त प्रक्रिया शुरू हुई है। तब सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के वकील से पूछा था कि ब्रिटेन का सुप्रीम कोर्ट प्रत्यर्पण की अनुमति दे चुका है, फिर माल्या वहां कैसे रुके हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि आखिर कौन सी गोपनीय प्रक्रिया चल रही है, वह कब खत्म होगी, इस पर जवाब दाखिल करें।

कोर्ट ने 31 अगस्त, 2020 को अवमानना के मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विजय माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2017 को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर बच्चों के एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का ब्यौरा न देने के लिए दोषी माना था। विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए रिव्यू पिटीशन दायर की थी। माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की है।  माल्या ने भारत में अपनी संपत्ति जब्त करने के लिए ईडी की ओर से शुरू की गई कार्यवाही के खिलाफ याचिका दाखिल की है।