जेएसएलपीएस कर्मियों का अल्‍टीमेटम, मांगें पूरी नहीं होने पर 12 जनवरी के बाद काम ठप

झारखंड
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रांची। झारखंड राज्य के झारखंड राज्य लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) के कर्मियों की दो दिवसीय बैठक बिना किसी ठोस नतीजे के संपन्न हो गयी। बैठक के दूसरे दिन राज्य के मानव संसाधन कार्यक्रम प्रबंधक संजय प्रसुन भी शामिल हुए। कर्मियों ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि उनकी मांगें नहीं माने जाने पर वे 12 जनवरी के बाद काम ठप कर देंगे।

एचआर कर्मियों को करते हैं टॉर्चर

बैठक में कर्मियों ने संजय प्रसुन से कहा कि एचआर द्वारा कर्मियों को टॉर्चर किया जाता है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि संस्थान में कुछ जिम्मेदारियां हर स्तर पर निर्धारित होती है। जब इसका निर्वहन नहीं होता है, तब सख्ती बरती जाती है। इसे व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पेशेवर ढ़ंग से लेना चाहिए। श्री प्रसुन ने कहा कि कर्मियों द्वारा संगठन बनाना एक सकारात्मक कदम है। यह कदम ना तो प्रबंधन के खिलाफ है और ना ही सरकार के। संगठन के माध्यम से बड़ी संख्या में उपेक्षित कर्मी अपनी मांगें एचआर, सीईओ, सचिव और सरकार स्तर तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कर्मियों को कम से कम 18 हजार रुपये वेतन दिये जाने चाहिए। उन्होंने बताया कि इसपर काम चल रहा है। उन्होंने यह भी माना कि अब कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ा है। क्षेत्र बढ़ा है। कर्मी दूसरों की आजीविका की व्यवस्था तो करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी जीविका चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में यह व्यवस्था होनी चाहिए कि कर्मी अपना परिवार भी सही ढ़ंग से चला पाएं।

सचिव और सीईओ से मिलकर रखेंगे मांगें

झारखंड राज्य आजीविका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिवकुमार सिंह ने कहा कि कर्मी अपनी मांगों पर अडिग हैं। उन्होंने कहा कि कर्मियों की पोस्टिंग होम डिस्ट्रि‍क में हो। स्तर सात और स्तर आठ के कर्मियों को कम से कम 18 हजार रुपये वेतन दिये जाएं। तीन सालों का इंक्रीमेंट और प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत मंहंगाई भत्ता दिया जाए। उन्होंने कहा कि इन मांगों को लेकर कर्मियों की स्टेयरिंग कमेटी 12 जनवरी को ग्रामीण विकास विभाग की सचिव और मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी से मिलेगी। अगर मांगे नहीं मानी गई, तो उसके अगले दिन से राज्य भर के सभी जेएसएलपीएस कर्मी पूर्णकालीक हड़ताल पर चले जाऐंगे। राज्य भर में जेएसएलपीएस के कामों को ठप कर दिया जाएगा।

अधिकारी के संघ में शामिल पर नाराजगी

कर्मचारी संघ की बैठक में राज्य स्तर के पीएम (एचआर) संजय प्रसुन ने कहा कि स्तर पांच से स्तर आठ तक के प्रदेश में कर्मियों की संख्या 3200 (80 प्रतिशत) है। स्तर एक से चार तक में लगभग 1800 कर्मी हैं। इस कारण स्तर एक से स्तर चार तक कर्मी भी इस संघ में रहने की इच्छा जता रहे हैं। इस बात पर कुछ कर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर असंतोष व्यक्त कि‍या। उन्‍होंने कहा कि यह कर्मियों का संगठन है। इसमें अधिकारियों को शामिल करना उचित नहीं। आखिर कर्मी अपनी मांगें जिनके समक्ष रखेंगे, वही उनके संघ में होंगे, तो भला कर्मियों को न्याय कैसे मिलेगा।