रांची। उद्यमियों की समस्याएं जानने के लिए झारखंड चैंबर सदस्यों ने गिरिडीह का दौरा किया। इस दौरान जेबीवीएनएल और डीवीसी के आपसी विवाद में डीवीसी कमांड एरिया के अधीनस्थ सातों जिलों में विद्युत कटौती से हो रही कठिनाईयों पर उद्यमियों ने चिंता जताई। कहा कि पावरकट के कारण औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हो रहा है। उद्यमियों ने यह भी कहा कि अब तक झारखंड में माईनर मिनरल पॉलिसी नहीं होने के कारण खनन एवं खनिज आधारित लघु उद्योगों का विकास बाधित है। सरकार को इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए शीघ्र माईनर मिनरल पॉलिसी बनानी चाहिए।
व्यवसायियों ने झारखंड चैंबर को यह भी बताया कि गिरिडीह में ट्रैफिक थाना का निर्माण कर दिया गया है, किंतु अब तक यहां प्रशिक्षित ट्रैफिक पुलिस बल की पदस्थापना नहीं की गई है। इसके कारण जिले में यातायात नियंत्रण करने में कठिनाई हो रही है।
उद्यमियों की कठिनाईयों को सुनने के बाद चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि दो प्रतिष्ठित सरकारी संस्थानों के आपसी विवाद से उपभोक्ताओं का कोई लेना-देना नहीं है। यदि जेबीवीएनएल द्वारा डीवीसी को समय से भुगतान नहीं किया जा रहा है, तो ग्राहकों को प्रताड़ित करना व्यवहारिक रूप से उचित नहीं है। उपभोक्ता उपभोग की गई बिजली बिल का भुगतान करते हैं। सरकार उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में कार्रवाई करे। उन्होंने उद्यमियों को आश्वस्त किया कि राज्य में माइनर मिनरल पॉलिसी के गठन एवं ट्रैफिक थाना में प्रशिक्षित पुलिस बल की पदस्थापना के लिए शीघ्र उच्चाधिकारियों के साथ वार्ता करेंगे।
बैठक के दौरान उद्यमियों ने कहा कि राज्य में केवल 10 वर्ष का फैक्ट्री लाईसेंस मिल रहा है, जिससे नये उद्यमियों को कठिनाइयां हो रही हैं। यह भी कहा गया कि लाइसेंस के नवीकरण के लिए 15 जनवरी अंतिम तिथि है, किंतु नवीकरण में काफी कठिनाईयां हो रही हैं। सरकार द्वारा ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के तहत लाईसेंस को ऑटो रिन्युअल की व्यवस्था दी गई है, किंतु कार्रवाई नहीं हो रही है। चैंबर अध्यक्ष ने कहा कि 10 वर्षों का एकमुश्त फैक्ट्री लाइसेंस फीस जमा करने की बाध्यता, उद्यमियों पर एक बड़ा वित्तीय बोझ है। सरकार को इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए 10 वर्ष के साथ 1 वर्ष के लिए भी फैक्ट्री लाईसेंस देने का विकल्प देना चाहिए। साथ ही उन्होंने इस मामले में विभागीय सचिव से वार्ता का आश्वासन दिया।

व्यापारियों ने यह भी कहा कि सरकार के एक आदेश के तहत तत्कालीन गिरिडीह अंचलाधिकारी द्वारा 1910-11 के खतियान के अनुसार सभी सरकारी भूमि को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया है। उस समय जमींदारी प्रथा थी, जिसका 1955-56 से रसीद कटता आ रहा है। उसे भी इस सूची में डाल दिया गया है। गिरिडीह में ऐसे 8 लाख केस हैं। मामले के निष्पादन के लिए विभागीय सचिव द्वारा उपायुक्त को निर्देश भी दिया गया है कि जमीन की जांच कर प्रतिबंधित सूची से बाहर करें, फिर भी कार्रवाई नहीं हो रही है। यह आग्रह किया गया कि उस सूची को रद्द किया जाय।
मौके पर झारखंड चैंबर के अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा, उपाध्यक्ष किशोर मंत्री, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला, महासचिव राहुल मारू, सह सचिव राम बांगड, कार्यकारिणी सदस्य वरूण जालान, शैलेश अग्रवाल, अमित किशोर एवं शशांक भारद्वाज, स्थानीय विधायक सुदीव्या कुमार, गिरिडीह चैंबर की ओर से प्रदीप अग्रवाल, प्रमोद कुमार, ध्रुव सोंथालिया, अमरजीत सिंह सलूजा, मनमीत सिंह, परमजीत सिंह सहित सैकडों व्यापारी मौजूद थे।