फसल सुधार में जीनोम एडिटिंग टूल्स अधिक कारगर : डॉ कुतुबुद्दीन अली मोला

झारखंड
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  • बीएयू में व्‍याख्‍यान का आयोजन

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में गुरुवार को इंडियन सोसाइटी ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग के रांची चैप्टर ने क्रिस्पर कस-अगली पीढ़ी के सटीक प्रजनन टूल्स विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया। मुख्य वक्ता आईसीएआर– नेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट, कटक के बायोटेक्नोलॉजिस्ट डॉ कुतुबुद्दीन अली मोला थे।

डॉ मोला ने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी तकनीक से कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव आने जा रहा है। ग्लोबल मांग के अनुरूप फसल सुधार में पौधा प्रजनकों को इन तकनीकों की दिशा में कार्य किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्रिस्पर कस तकनीक फसल सुधार के लिए अगली पीढ़ी के लिए सटीक प्रजनन टूल्स के रूप में उभर के सामने आया है। इस जीनोम एडिटिंग तकनीक से विभिन्न फसलों में प्रजनन से अधिक जीन विशेषताओं सटीक रूप से सुधार कर सकते हैं। इस सटीक प्रजनक टूल्स से एक वर्ष या कुछ ही वर्षो फसल सुधार संभव है, जबकि पारंपरिक साधनों के माध्यम से इसे लंबे वर्षों में किया जा पाना संभव था।

डॉ मोला ने कहा कि यह तकनीक प्रतिरोधी फसल किस्म का विकास कर सकता है। इससे उपज बढ़ाया  सकता है। विषम जलवायु में स्मार्ट फसलें पैदा की जा सकती है। हमें उम्मीद है कि सरकार ग्रामीण और विकास के क्षेत्र में इस दिशा पर जोर देगी।

मौके पर सोसाइटी के अध्यक्ष एवं कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को ग्लोबल मांग और बदलते नवीनतम तकनीकी पर अद्यतन शोध जारी रखने की जरूरत है। क्रिस्पर कस की बायोटेक्नोलॉजी तकनीक तीव्र फसल प्रजनन और लाभकारी फसल विशेषताओं के विकास में कारगर टूल्स सिद्ध हो सकती है।

सोसाइटी के सचिव डॉ जेडए हैदर ने इस व्याख्यान को पीजी एवं पीएचडी छात्रों के शोध में काफी उपयोगी बताया। व्याख्यान में डीन, डायरेक्टर, प्रोफेसर सहित बड़ी संख्या में  पीजी एवं पीएचडी छात्र –छात्राओं ने भाग लिया।