100 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए ई-इनवॉइस अनिवार्य

विचार / फीचर
Spread the love

रवि शंकर शर्मा

केंद्र सरकार नए साल से ई-इनवॉइस प्रणाली में बदलाव कर दी है। इसके तहत 1 जनवरी, 2021 से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी और कंपनियों के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस लेनदेन (B2B Transactions) पर ई-इनवॉइस अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही, 1 अप्रैल, 2021 से सभी टैक्सपेयर्स के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस लेनदेन पर ई-इनवॉइस जरूरी होगा। जीएसटी कानून के तहत बिजनेस-टू-बिजनेस ट्रांजेक्शन के लिए 1 अक्तूबर, 2020 से 500 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए ई-इनवॉइस अनिवार्य किया गया है।

हर ट्रांजेक्शन के लिए IRN जेनरेट होगा

नई प्रणाली के तहत 100 करोड़ सालाना टर्नओवर या इससे बड़ी कंपनियों हर बिक्री के लिए एक यूनिक इनवॉयस रेफरेंस पोर्टल पर जाकर ई-इनवॉइस निकालना होगा। इसमें एक इनवॉयर रेफरेंस नंबर जेनरेट होगा। नए साल से ऐसा नहीं करने वाला कंपनियां बिजनेस-टू-बिजनेस ट्रांजैक्शन नहीं कर पाएंगी। सरकार के इस कदम से जीएसटी के नियमों के पालन ठीक से हो सकेगा। सरकार की जीएसटी से होने वाली आमदनी बढ़ेगी।

ई-इनवॉइस से ये फायदे होंगे

केंद्र सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था के अमल में आने से टैक्स चोरी की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी। ई-इनवॉइस जनरेट करने का तरीका ठीक उसी तरह का है, जिस तरह ई-वे बिल निकाला जाता है। सरकार का कहना है कि ई-इनवॉइस व्यवस्था से कंपनियों के लिए रिटर्न भरने के बोझ में काफी कमी आएगी। क्योंकि रिटर्न फॉर्म में इनवॉइस से संबंधित डेटा अपने-आप दिखाई देगा। इसका ऑटोमैटिक मिलान संभव होगा। इससे कारोबारियों और जीएसटी अधिकारियों दोनों को सहूलियत होगी।

टैक्स रिटर्न फाइल करने में होगी आसानी

इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस व्यवस्था लागू हो जाने के बाद व्यापारियों को भी टैक्स रिटर्न फाइल करने में परेशानी नहीं होगी। वेबसाइट पर जाकर जब वह रिटर्न फाइल करेंगे, उस दौरान संबंधित इनपुट डेटा उनके सामने होगा। इससे टैक्स अधिकारियों और कर्मचारियों का काम आसान होगा।

(लेखक झारखंड के टैक्स कंसल्टेंसी फर्म टैक्स सव्वी एसोसिएट्स के फाउंडर हैं)