अलग-अलग निर्धारित होगी सामान्य और उर्दू शिक्षकों की वरीयता

झारखंड
Spread the love

रांची। सामान्य और उर्दू शिक्षकों की वरीयता अलग-अलग निर्धारित होगी। इस मामले में झारखंड के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने स्पष्‍ट किया है। इसका प्रावधान मात्र एक साल के लिए होगा।

निदेशालय के अवर सचिव अरविंद कुमार सिंह ने रांची उपायुक्त को 23 दिसंबर को इस बारे में पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि उपायुक्त द्वारा बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसा के आलोक में वर्ष 1994 में नियुक्त सामान्य शिक्षक एवं उर्दू शिक्षक के जिला स्तरीय वरीयता सूची में स्थान निर्धारण के संबंध में मार्गदर्शन की अपेक्षा की गयी है। क्योंकि दोनों प्रकार के शिक्षकों का मेधांक पृथक-पृथक हैं।

उक्त के क्रम में कहना है कि बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 1994 में विज्ञापित रिक्ति के 10 प्रतिशत पद पर उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। ऐसे में सामान्य शिक्षकों एवं उर्दू शिक्षकों के लिए अलग-अलग वरीयता सूची संधारित किया जाना उचित प्रतीत होता है।

प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक प्रोन्नति नियमावली, 1993 के प्रावधानों के अनुसार ग्रेड-II या अन्य उच्चतर ग्रेडों, जिनमें पद की संख्या निर्धारित है एवं रोस्टर क्लीयरेंस की आवश्यकता है, उन पदों पर सामान्य श्रेणी में प्रोन्नति के लिए उपलब्ध पदों के 10 प्रतिशत पदों पर उर्दू शिक्षकों के लिए संधारित पृथक वरीयता सूची से प्रोन्नति दी जाय। यह प्रावधान मात्र वर्ष 1994 में नियुक्त शिक्षकों के लिए ही प्रभावी रहेगा।