आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा । झारखंड पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठने लगा है। पुलिसकर्मी के घर हादसा हुआ। घटना की सूचना देने के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। खुद पीड़ित परिवार को लाश लेकर थाने बुला लिया। यह मामला जिले के सेरेंगदाग थानांतर्गत मुंगो गांव की है। यहां नक्सलियों ने पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाकर जागीर भगत की हत्या रविवार की रात कर दी थी। मृतक का बेटा झारखंड पुलिस के एक अधिकारी का अंगरक्षक है।
मृतक का पुत्र राजू भगत ने बताया कि घटना की सूचना रात में ही थाना प्रभारी को दी गई थी। उग्रवाद प्रभावित इलाका होने के कारण रात को पुलिस नहीं पहुंची। सुबह वह खुद थाना गया। वहां जाकर कहा कि सुबह के 8 बज रहे हैं, अब तो चलें। इसपर थाना प्रभारी ने कहा कि उन्हें आदेश नहीं है। वे नहीं जाएंगे। उन्होंने यहां तक कहा कि जहां जाना है जाएं। जो करना है करें, पर हम नहीं जाएंगे। बॉडी लाने का निर्देश दिया। इसके बाद वहां ट्रैक्टर बुककर वहां भेजकर सुबह 10 बजे बॉडी मंगाया।
मृतक के पुत्र ने कहा कि उनके पिता पर इससे पहले भी हमला हुआ था। यह हमला शाम में 3 से 4 बजे के बीच किया गया था। मात्र दो की संख्या में आने के कारण वे सफल नहीं हो सके। भाग गये थे। उनके ऊपर पुलिस का मुखबिर होने का लगाया गया आरोप पूरी तरह निराधार है। वे कभी फोन नहीं रखते थे। किसी से बातचीत भी नहीं करते थे।
घटना स्थल पर नहीं जाने के बारे में पूछे जाने पर थाना प्रभारी हरिऔंध करमाली ने कहा कि जंगल का लाभ उठाकर नक्सली पुलिस वालों को टारगेट करते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा हुआ होगा।
मृतक के पुत्र राजू भगत का बयान